"एक कदम लक्ष्य की ओर"

"An Institution is stand for Humanism, Tolerance and Reason"

जीवन निरन्तरता का प्रवाह है, ज्ञान का समन्वय है, प्रयोगधर्मिता व नवाचारो का नित नवीन आयाम है। ’संकल्प से सिद्वि’ मेरे जीवन का ध्येय रहा है। ’चरैवति चरैवति’ को अपने जीवन की संकल्पना के रुप मंे निरन्तर साकार करते हुये, आज महाविद्यालय प्राचार्या के रुप मंे मेरी जीवन यात्रा मंे एक नवीन आयाम जुड़ा है। प्रबुद्ध एवं सुयोग्य प्रबन्धतंत्र के सहयोग से शुभारम्भ हुआ है, महाविद्यालय की वेवसाइट www.srdakpgcollege.com

महाविद्यालय न केवल भौतिक वरन वर्चुअली भी स्थापित हुआ है, यदि सहज शब्दो में कहू तो महाविद्यालय का उसके स्वर्ण जयन्ती वर्ष मंे प्रवेश के साथ ही बर्चुअल वल्र्ड मंे भी ’स्वर्णिम उदय’ हुआ है।

आवश्यकता अविष्कार की जननी है, गत वर्ष के परिदृश्यो पर चिन्तन करे तो कोरोना त्रासदी हमने देखी, जिसप्रकार जीवन के सभी आयाम और विशेष रुप से शिक्षा प्रभावित हुई है इसने वताया कि अब पुराने रास्ते पर्याप्त नहीं है, नवीन मार्गो का सृजन करना ही होगा। इस त्रासदी मे ’डिजीटल एजूकेशन’ एक सशक्त माध्यम के रुप मे उभरी है। आज के युग को ’डिजीटल क्रान्ति’ का युग कहा जाये तो अतिशियोक्ति नही होगी।

इस वेवसाइट के माध्यम से समय और संसाधन का उचित प्रबन्धन होगा जिससे प्रवेश प्रक्रिया, शिक्षण अधिगम प्रक्रिया (E-Content, Blended Learning) मूल्यांकन प्रक्रिया, प्रसार सेवाएंे आदि सुचारु रुप से संचालित हो सकेगी।

मुझे विश्वास है, इस नवाचार और नयी शिक्षा नीति के आलोक में, महाविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नये कीर्तिमानो को गढते हुए ज्ञान की स्वर्णिम रश्मियांे से शहरी व ग्रामीण अंचल की छात्राआंे के भविष्य को दैदीप्यमान कर, उन्नति का पथ प्रशस्त करेगा क्योकि ’ज्ञान ही शक्ति है’ यही मेरी साध है और यही मेरा प्रयास है।

शुभेच्छु